खुशियों का जमाना मेरे करीब तो नहीं नेह निगाहों का भी नसीब में नहीं। वो बन गई है प्रेरणा लिखता हूँ इसीलिए वरना तो पास दूसरी तरकीब भी नहीं।। नैन मिले नैन से तो चैन हो गया छत पर दिखी जो, हाल ए दिल बैचेन हो गया। भाग कर बिहार से में आ गया दिल्ली जब से बिहार में शराब बैन हो गया।। सारे शहर में मेरा ही तो नाम रहेगा कवियों को कविताई का ही काम रहेगा। बिहार को खराब कर दिया नीतीश ने हम सब शराबियों का ये इल्जाम रहेगा।। अब तो बता कौन कौन साथ चलेगा सीमा पे जा आतंक से दो हाथ करेगा। सीने में आग हाथ मे भगवा को संभाले पीछे हुजूम आगे "योगीनाथ" रहेगा।। फिर देख लेना खून गिराएंगे पाक का नालियों में विसर्जन करेंगे उसकी राख का। बम बम के भक्त हम हैं, बम क्या हमको डराये देखेगा पाक नाप सीना अपने बाप का।। हास्य से फिर रौद्र रस में तुमको ले आए कवियों के कलम में तो सात सूर्य समाए। लिखना जो हो देश छोड़ कर और क्या लिखूँ आ मिलके तिरंगे पे सभी शीश झुकाएँ।।