रंग बिरंगी तितली के हैं पंख बनी रंगोली रंगों का त्यौहार मना है आज मनी है होली पलकों में खुशियों के मोती आज बिदाई का आलम चली गई आँगन की लाली, आँखों को होना है नम। कल तक खिला खिला आँगन था आज हुआ वीराना किसने लिखा है पन्नो पर बिटियों का पराया होना जिसकी हँसी ठिठौली से था खुशियों का इतराना आज जुदा हो जाने से रोता है कोना कोना हृदय काट कर तुझे दे दिया , अब घर तेरे चहकेगी मेरे आँगन की खुशबू , अब तेरा घर महकायेगी यह तो फूल है ऐसी इसको तो कुम्हलाना पड़ता है लाख सहे दुःख फिर भी इसको तो मुस्काना पड़ता है