परिश्रम का फल
परिश्रम से कोई नर,
नही सफलता पा सकता,
होता सफल वही जीवन में,
जो समाज में लक्की है |
कर कोशिश और बढ़ आगे,
फिर तेरी तरक्की पक्की है।
जैसे चढ़ती चीटियाँ दिवार पर,
चढ़ती और फिसलती है।
हार नही सकती वह कभी।
क्योंकि, दृढ संकल्प वो करती है |
संशय तनिक न मन में उसके।
कि दिवार यह कच्ची है।
कर कोशिश और बढ़ आगे.............
कठिन नही कुछ भी जीवन में,
जो तू नही कर सकता है।
मत लोगो के तानो को तू।
अपने कानो में पड़ने दे।
तेरे परिश्रम को देख,
कहेगी दुनियां धक्की है।
कर कोशिश और बढ़ आगे............
सफल होगा जब तू जीवन में।
लोग तुझे पहचानेंगे।
तेरी सफलता की गाथाएँ।
झूम झूम कर गाएंगे।
फिर तेरा मन कहेगा तुझसे,
बोल तू कैसा लक्की है।
कर कोशिश और बढ़ आगे............
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