सामाजिक व्यवस्था
उठ जाग युवाओ देर न कर।
अब शंखनाद तू कर दे।
कर हुंकार उठे पीढ़ी।
कुछ ऐसा तू कर दे।
खड़ा हो जाए कोई भी नर।
इस सत्ता के आगे।
नस नस में उसके अब ।
आग तू ऐसा भर दे।
उठ............।
लोभी सत्ता के न रहेंगे,
मुंह छुपा कहीँ भागेंगे।
सुख शांति मिलेगी जनता को,
तब और नही रोयेंगे।
हो रहा कहीं पर लूट-मार
हो रहा कहीं पर अत्याचार।
जनता चुप बैठी कहती है |
बढ़ गया है देखो भ्रष्टाचार।
ख़त्म कर दे इस नीति को.
तू समाज को आग में न जलने दे।
उठ................................
निंद्रा तोड़ तू अपनी अब।
सत्ता को ले तू अपने हाथ।
अंतिम संस्कार कर दे इनको,
इनको और नही तू फलने दे।
उठ..............................
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