Skip to main content

LAKHON MAIN EK ABHIYAN 2015

LAKHON ME EK ABHYAAN 2015

"लाखों में एक" अभियान है जिसे प्रथम फाउंडेशन के द्वारा संचालित किया जा रहा है । जिसका मक़सद है 100000 समुदाय तक पहुँच कर ग्रामीण क्षेत्र के 3 से 8 तक के सभी बच्चों का मूल्याकन कर उनके कहानी पढ़ने एवं हासिल का घटाव कर पाने की दक्षता से अवगत कराये । ताकि वे अपने बच्चों के शिक्षा के स्तर के बारे में कुछ सोंचे।
       हमारा प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा समुदाय हमसे जुड़े और अपने बच्चों के लिए कुछ करने को तैयार हों, इस अभियान में वैसे स्वंयसेवक के सहयोग से हम उन गाँव के बच्चों के शिक्षा स्तर में सुधार ला पायें।
      "असर" एक राष्ट्र व्यपी सर्वे है इस सर्वे में कक्षा 8 तक के एवं 6-14 साल के बच्चों की  जानकारी तथा पढ़ने एवं गणित कर पाने की दक्षता का मूल्यांकन किया जाता है  ।इस सर्वे के अनुसार 95% बच्चों का नामांकन विद्यालय में है लेकिन उनमे से लगभग आधे बच्चे कक्षा 2 के पाठ को नहीं पढ़ पाते ।
      इस समस्या से मुक्ति पाने के इस अभियान को सफल बनाने में हमारी मदद करें ।

  •  क्या आप नहीं चाहते की आपके गाँव के बच्चे को धाराप्रवाह पढ़ना आ जाये ?
  • बहुत सारे बच्चे किताबों को ना पढ़ पाने के कारण पढाई में कमजोर रह जाते हैं और ड्रॉपआउट कर जाते हैं।क्या आप इसे कम करने में हमारी मदद करना चाहेंगे?
  • यदि हां, तो प्लीज हमसे जुड़ें और इस अभियान का एक हिस्सा बने 'लाखों में एक' बनें ।
लॉग इन करें - www.lakhonmeinek.org और रजिस्टर करें या हमसे संपर्क करें -
हमारा पता है:-








Comments

Popular posts from this blog

खोरठा हमारी- मातृभाषा

खोरठा लिपि खोरठा के लिए खोरठा लिपि ही क्यों ? किसी भाषा की कतिपय अपनी विशिष्ट ध्वनियाँ होती हैं। उन विशिष्ट ध्वनियों को किसी अन्य भाषा के लिए प्रयुक्त लिपि में अंकित करना कठिन होता है। यानी उधार की लिपि में किसी भाषा के लेखन-पठन में मानकर चलने की विवशता आ जाती है। यदि जो लिखा जाये वही पढ़ा जाये की आदर्श स्थिति की अपेक्षा करना है तो उस भाषा की पृथक व स्वतंत्र लिलि की आवश्यकता पड़ती है। खोरठा सहित झारखंडी भाषाओं में कुछ विशिष्ट ध्वनियाँ विद्यमान हैं जो भारत की अन्य भाषाओं में प्रायः दुर्लभ है। यद्यपि खोरठा भाषा को अंकित करने में नागरी लिपि के व्यवहार को सर्वाधिक मान्यता मिली है किंतु हमारी सभी ध्वनियों को नागरी लिपि उदभाषित करने में सक्षम नहीं है। ऐसी स्थिति में हमें मान कर चलने की विवशता उत्पन्न होती है। इस विवशता में कई समस्याएँ हैं, जहाँ लेखन में वर्त्तनीगत अराजकता वहीं पाठगत अनेकरूपता। एक लेखक अपनी भाषा की विशिष्ट ध्वनियों के लिए नागरी की जिन ध्वनियों का व्यवहार करता है, वहीं दूसरा लेखक कुछ और ध्वनियों का। इससे सामान्य पाठक को पाठ वाचन में कठिनाइयों का सामना करन...

समावेशी शिक्षा

समावेशी शिक्षा से क्या तात्पर्य है ? समावेशी शिक्षा के संप्रत्यय एवम भारतीय शिक्षा प्रणाली में इसकी आवश्यकता की समीक्षा कीजिये। समावेशी शिक्षा  सामान्य एवं विशिष्ट बच...

शिक्षण सामग्री: प्रभावी अधिगम की मजबूत नींव

📘 शिक्षण सामग्री: प्रभावी अधिगम की मजबूत नींव 🔷 प्रस्तावना: शिक्षण केवल पाठ्यपुस्तकों का पाठ कराना नहीं है। प्रभावी शिक्षण वहीं होता है जहाँ बच्चे खुद अनुभव करते हैं, खोजते हैं और अपने परिवेश से जुड़ते हैं। शिक्षण सामग्री (Teaching-Learning Material - TLM) इस प्रक्रिया को सशक्त बनाने का माध्यम है। यह न केवल कक्षा को रोचक बनाती है, बल्कि बच्चों में सक्रियता, सोचने की क्षमता और आत्मनिर्भरता भी बढ़ाती है। 🔶 शिक्षण सामग्री क्या है? शिक्षण सामग्री वे साधन या संसाधन हैं जो शिक्षण प्रक्रिया को सरल, आकर्षक और प्रभावशाली बनाते हैं। इनका उद्देश्य है कि बच्चों को विषय की गहरी समझ हो और वे नई चीज़ें आत्मसात कर सकें। 🔷 शिक्षण सामग्री के प्रमुख प्रकार: 1. प्रिंट आधारित सामग्री: वर्कशीट, चार्ट, शब्द कार्ड, चित्र, पोस्टर, फ्लैशकार्ड आदि। भाषा, गणित, विज्ञान जैसी विषयवस्तु को सुगम बनाते हैं। 2. डिजिटल सामग्री: वीडियो, ऑडियो, प्रजेंटेशन, एनिमेशन, मोबाइल ऐप्स, ई-कंटेंट आदि। blended learning के लिए उपयोगी। 3. स्थानीय और सांस्कृतिक सामग्री: लोकगीत, लोककथाएं, खेल, चित्रकथा...