Skip to main content

आरक्षण

��आरक्षण��

की जीतोड़ पढ़ाई, नाता
   जुड़ता फिर भी बेकारी से
प्रतिभावान कटा जाता है
        आरक्षण की आरी से।

नहीँ नियोजन होता उसका
        प्रतिभा हो कितनी चाहे।
इम्तिहान में वो लाए नम्बर
                भी जितनी चाहे ।

फिर भी वह बेदखल हो
           रहा है वेतन सरकारी से
प्रतिभावान कटा जाता है
           आरक्षण की आरी से।

भूख,गरीबी क्या जाति को
             पूछ घरों में आती है।
कौन देखता है किसके घर
           भूखी मुनिया सोती है।
नहीँ पेट में अन्न,पेट को
            काट पढ़ाया बेटे को

उसे पढ़ाने को पैसे लाया था,
             बेच बनी तरकारी से।
प्रतिभावान कटा जाता है
           आरक्षण की आरी से।

आरक्षण का है वह अधिकारी
         जो भूख आभाव में जीता हो
किसी जाती का हो चाहे
        जिसको गरीबी ने लूटा हो

नहीँ सिफारिश करना हो
      अब नेता से,अधिकारी से।
प्रतिभावान कटा जाता है
         आरक्षण की आरी से।

दुर्दान्त दस्यु यह बन प्रचण्ड
          इस तरह समाज में फैला है
हो विकराल मानवता को
       अँधियारों में ठेला है

इस दस्यु को नेताओं ने
             लाया है मक्कारी से
प्रतिभावान कटा जाता है
        आरक्षण की आरी से।

           ����नरेंद्र पाण्डेय����

Comments

Popular posts from this blog

खोरठा हमारी- मातृभाषा

खोरठा लिपि खोरठा के लिए खोरठा लिपि ही क्यों ? किसी भाषा की कतिपय अपनी विशिष्ट ध्वनियाँ होती हैं। उन विशिष्ट ध्वनियों को किसी अन्य भाषा के लिए प्रयुक्त लिपि में अंकित करना कठिन होता है। यानी उधार की लिपि में किसी भाषा के लेखन-पठन में मानकर चलने की विवशता आ जाती है। यदि जो लिखा जाये वही पढ़ा जाये की आदर्श स्थिति की अपेक्षा करना है तो उस भाषा की पृथक व स्वतंत्र लिलि की आवश्यकता पड़ती है। खोरठा सहित झारखंडी भाषाओं में कुछ विशिष्ट ध्वनियाँ विद्यमान हैं जो भारत की अन्य भाषाओं में प्रायः दुर्लभ है। यद्यपि खोरठा भाषा को अंकित करने में नागरी लिपि के व्यवहार को सर्वाधिक मान्यता मिली है किंतु हमारी सभी ध्वनियों को नागरी लिपि उदभाषित करने में सक्षम नहीं है। ऐसी स्थिति में हमें मान कर चलने की विवशता उत्पन्न होती है। इस विवशता में कई समस्याएँ हैं, जहाँ लेखन में वर्त्तनीगत अराजकता वहीं पाठगत अनेकरूपता। एक लेखक अपनी भाषा की विशिष्ट ध्वनियों के लिए नागरी की जिन ध्वनियों का व्यवहार करता है, वहीं दूसरा लेखक कुछ और ध्वनियों का। इससे सामान्य पाठक को पाठ वाचन में कठिनाइयों का सामना करन...

समावेशी शिक्षा

समावेशी शिक्षा से क्या तात्पर्य है ? समावेशी शिक्षा के संप्रत्यय एवम भारतीय शिक्षा प्रणाली में इसकी आवश्यकता की समीक्षा कीजिये। समावेशी शिक्षा  सामान्य एवं विशिष्ट बच...

शिक्षण सामग्री: प्रभावी अधिगम की मजबूत नींव

📘 शिक्षण सामग्री: प्रभावी अधिगम की मजबूत नींव 🔷 प्रस्तावना: शिक्षण केवल पाठ्यपुस्तकों का पाठ कराना नहीं है। प्रभावी शिक्षण वहीं होता है जहाँ बच्चे खुद अनुभव करते हैं, खोजते हैं और अपने परिवेश से जुड़ते हैं। शिक्षण सामग्री (Teaching-Learning Material - TLM) इस प्रक्रिया को सशक्त बनाने का माध्यम है। यह न केवल कक्षा को रोचक बनाती है, बल्कि बच्चों में सक्रियता, सोचने की क्षमता और आत्मनिर्भरता भी बढ़ाती है। 🔶 शिक्षण सामग्री क्या है? शिक्षण सामग्री वे साधन या संसाधन हैं जो शिक्षण प्रक्रिया को सरल, आकर्षक और प्रभावशाली बनाते हैं। इनका उद्देश्य है कि बच्चों को विषय की गहरी समझ हो और वे नई चीज़ें आत्मसात कर सकें। 🔷 शिक्षण सामग्री के प्रमुख प्रकार: 1. प्रिंट आधारित सामग्री: वर्कशीट, चार्ट, शब्द कार्ड, चित्र, पोस्टर, फ्लैशकार्ड आदि। भाषा, गणित, विज्ञान जैसी विषयवस्तु को सुगम बनाते हैं। 2. डिजिटल सामग्री: वीडियो, ऑडियो, प्रजेंटेशन, एनिमेशन, मोबाइल ऐप्स, ई-कंटेंट आदि। blended learning के लिए उपयोगी। 3. स्थानीय और सांस्कृतिक सामग्री: लोकगीत, लोककथाएं, खेल, चित्रकथा...