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अमर प्रेम

भागीरथी की जलधार है तू
शत-स्वर्ण मोती अपार है तू
क्षीर सागर का कमल दल
सा अनघ उपहार है तू
है प्रिये मेरा प्यार है तू।

नहीं में सजल भ्रम पालता हुँ
सत्य को में जानता हुँ
तु अर्चना की शुभ्र ज्योति
तू इश को भी देती चुनोती
वट वृक्ष सा विस्तार है तू
है प्रिये मेरा प्यार है तू।

तु सार जीवन का  है मेरे
उपकार जीवन का है मेरे
यथार्थ मेरे जानने का
गीत मेरे मानने का
सब सबल आधार है तू
है प्रिये मेरा प्यार है तू

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