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बुनियाद कार्यक्रम झारखण्ड




अधिगम उन्नयन कार्यक्रम:- यह एक अधिगम उन्नयन कार्यक्रम है l  जिसमे निम्न बिन्दुओं पर जोर दिया गया है l
  1.   बच्चों को अपनी रूचि,क्षमता तथा सिखने की गति के अनुसार सिखने का अवसर
  2.          बच्चों के स्तर के अनुसार शिक्षक-अधिगम प्रक्रिया (गतिविधियाँ)
  3.          बच्चों के घर,परिवेश,भाषा एवं संस्कृति को महत्व
  4.          बच्चों के सिखने में अभिभावक/समुदाय की सकारात्मक भूमिका
  5.          बच्चों द्वारा सीखने,प्रश्न करने,महसूस करने,अनुभव करना,स्वयं कर के देखने,प्रयोग करने,पढने,चर्चा करने,सुनने,प्रतिक्रिया करने तथा स्वयं को बोलकर,गति द्वारा अथवा लिखक अभिव्यक्त करने पर बल
  6.          शिक्षक के सहयोग से,समूह में ,जोड़े में तथा स्वयं करके सिखने पर बल
  7.          विद्यालय के अन्दर एवं बाहर भी सक्रिय अधिगम की सम्भावना
  8.          सभी बच्चो का सामान रूप से सीखना सुनिश्चित करना
  9.          पूर्व ज्ञान के आधार पर नए ज्ञान का सृजन पर जोर
  10.          शिक्षक की भूमिका एक मार्गदर्शक के रूप में
  11.       बल सुलभ,परिवेश में उपलब्ध ,बहुआयामी तथा प्रभावी शिक्षण अधिगम सामाग्री का उपयोग
  12. शिक्षण एवं अधिगम का दैनिक जीवन,जीवन कौशल एवं अनुप्रयोग से जुडाव




LEP PHASE 1 “बुनियाद” (कक्षा 1&2)
बुनियाद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए “गतिविधि आधारित शिक्षण” है, जिसमे 1 -2 के बच्चों को आनंदायी तरीकों से सिखने के अवसर प्रदान करता है l
उद्देश्य:-
·         बच्चों का विद्यालयों में ठहराव एवं उपलब्धि दर बढ़ाना l
·         उन बच्चों का पहचान करना जो पढने,लिखने एवं अंक गणितीय संक्रियाओं में पिछड़ जाते हैं l
·         पिछड़ने वाले बच्चों में सरल रूप से पढने-लिखने एवं गणितीय संक्रिया में कुशलता विकसित करना l
·         वातावरण तैयार करना जिसमे बच्चे पारस्परिक रूप से ,समुह में तथा स्वयं से सिख सके l
·         सबी बच्चों में पढना,लिखना एवं गणितीय संक्रियाओ जैसी बुनियादी दक्षता विकसित हो जाए l
·         शिक्षक , बी.आर.पी.,CRP कर्मियों को सक्षम बनाना l
·         अधिगम स्तर को जानने के लिए CCE (सतत व्यापक मूल्यांकन) करना एवं उनकी जानकारी रखना l
·         बच्चों के सिखने की प्रक्रिया में समुदाय को शामिल करना l
·         बच्चों को समझ के साथ पढने-लिखने योग्य बनाना ताकि अपनी पढाई का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर सके l
कार्यक्रम की प्रमुख गतिविधियाँ
·         अभिभावकों एवं समुदाय को संवेदनशील बनाने हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन l
·         SMC के सदस्यों तथा अभिभावकों कार्यक्रम में सक्रीय रूप से जोड़ने हेतु कार्यशाला का आयोजन l
·         शिक्षकों का उन्मुखीकरण तथा TLM (शिक्षण अधिगम सामाग्री) निर्माण के लिए राज्य,जिला,बी.आर.सी. और सी.आर.सी. स्तर पर कार्यशाला का आयोजन l
·         बच्चों को उनके सीखने के आधार पर वर्गीकृत करना l
·         “छउवा सभा” द्वारा गाँव के सार्वजनिक स्थल/विद्यालय परिसर में “लोक वाचन” का आयोजन l
·         सुधारात्मक शिक्षण गतिविधियाँ अपनाना l
·         शिक्षण कार्य के दौरान होने वाली कठिनाईयों का सी.आर.सी. में चर्चा तथा समाधान ढूंढने का सामूहिक प्रयास करना l
·         “लोक वाचन “ SMC की बैठक तिथि को अन्य अभिभावकों की उपस्थिति में किया जाना l


LEP PHASE 2 “बुनियाद प्लस”
“बुनियाद प्लस” “बुनियाद” कार्यक्रम का ही विस्तार है l “बुनियाद प्लस” का उद्देश्य कक्षा 3,4 एवं 5 के बच्चों का सीखना सुनिश्चित करना है l इस कार्यक्रम में निम्न बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दिया जाना है:-
·         बच्चों की कक्षा में निष्क्रियता एवं मौन को तोडना l
·         बच्चों को क्रियाशील करना एवं अपना ज्ञान स्वयं सृजित करने हेतु मार्गदर्शित करना l
·         “गतिविधि आधारित लर्निंग” एवं “करके देखने” के सिद्धांत को बढ़ावा देना l
·          बच्चों में प्रश्न पूछने की क्षमता का विकास करना तथा साथ ही ध्यान पूर्वक सुनने,देखने,विचार करने,कल्पना करने,अनुभव करने,प्रयोग करने,विश्लेषण करने,चर्चा करने तथा अभिव्यक्त करने के कौशलों को विकसित करना l
·         बच्चों को उनके स्तर तथा सीखने की गति के अनुसार सीखने का अवसर देना l
·         बच्चों द्वारा ज्ञान का सृजन करने अथवा कौशल विकसित करने के पश्चात् लर्निंग (अधिगम) विस्तार का अवसर देना l
·         बच्चों के सिखना सुनिश्चित करने में शिक्षकों की सक्रीय भूमिका (मार्गदर्शक/उत्प्रेरक के रूप में) l
·         बहुआयामी एवं प्रभावी TLM (शिक्षण अधिगम सामाग्री)/ गतिविधियों का उपयोग ताकि विभिन्न स्तर के बच्चों को उनके अनुरूप गतिविधियों / TLM के द्वारा सीखने का अवसर मिल सके l
·         सिखने का माहौल तैयार करना तथा नवाचारी (नए) अधिगम व्यवस्था करना l
·         बच्चों के सिखने की प्रक्रिया में उनके पूर्वानुभव तथा पूर्व ज्ञान का समावेश करना l
·         अधिगम प्रक्रिया में स्वधिगम (self learning),पारस्परिक अधिगम,समूह अधिगम (group learning) तथा शिक्षक मार्गदर्शिता अधिगम का समावेश l
बुनियाद के कुछ मुख्य पहलु निम्न हैं :
v  पूरी कक्षा बनाम प्रत्येक बच्चे की लर्निंग : प्रत्येक बच्चे में छिपी प्रतिभा तथा क्षमता को उजागर करना और स्तर के अनुसार सिखने का अवसर देना ताकि सभी बच्चों का सीखना सुनिश्चित हो सके l
v  लर्निंग पर निरंतर ध्यान (लर्निंग ट्रैकिंग): शिक्षक निरंतर सभी बच्चों की लर्निंग पर ध्यान रखते हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर उपयुक्त एवं उपचारात्मक कार्यवाही की जा सके l
v  विस्तारित अधिगम व्यवस्था :क्या , क्यूँ , कैसे.... : अधिगम विस्तार के लिए बच्चों को प्रोजेक्ट , एक्सपोजर , प्रयोग करने का भी मौका देंगे l ताकि बच्चे विभिन्न चीजों का इस्तेमाल कर अपनी लेर्निंग का विस्तार कर सके l
v  सीखने में समुदाय की सहभागिता : बच्चों के सीखने में समुदाय की सहभागित हमर्षा रही है परन्तु विद्यालयी शिक्षा में समुदाय की सहभागिता उतनी प्रमुख नही रही है l बच्चे माह भर सीखी गयी अवधारणाओं/कौशलों का प्रदर्शन माह के अंत में समुदाय के सदस्यों के समक्ष करेंगे l अधिगम विस्तार के लिए प्रोजेक्ट कार्य में बच्चे समुदाय से मदद लेंगे l
उदाहरण के तौर पर –
Ø  विभिन्न व्यावसायिक लोगों से उनके कार्य एवं कार्यों में प्रयुक्त औजारों अथवा प्रक्रियाओं में सम्मिलित विज्ञानं की अवधारणाओं को सीखना जैसे-लोहार,बढई,किसान,साइकल मैकेनिक कुम्हार इत्यादी l
Ø  बुजुर्गों से लोक गीत,लोक कथाएँ सीखना एवं लिखना l
Ø  रूपये-पैसे से सम्बंधित हिसाब या संक्रियाओं को किसी दुकानदार से सीखना l
v  शिक्षक संदर्शिका की विशेषताएँ:
1.       बच्चे सीख चुके हैं : बच्चों का पूर्व ज्ञान एवं अनुभव की जानकारी लेना क्यूँकि बच्चे अपने पूर्व ज्ञान/अनुभव से बहुत कुछ सीखते हैं l
2.       बच्चों को सीखना है : बच्चों को क्या सीखना है यह अधिगम बिंदु ,अवधारणा या कौशल से सम्बंधित है l
3.       अधिगम क्षेत्र से जुडाव : अधिगम बिंदु ,अवधारणा या कौशलों का अधिगम सामग्री से जुडाव के बारे में बताया गया है l
4.       सामग्री प्रबंधन : गतिविधियों में उपयुक्त सामग्री एवं उनका प्रबंध कैसे किया जाए l
5.       सीखने का माहौल तैयार करना : बच्चों की लर्निंग को उनके अनुभव,पूर्व ज्ञान एवं परिवेश से जोड़ा जाए l
6.       बच्चे करेंगे : बच्चे स्वयं नए ज्ञान का सृजन करे एवं स्वयं से समझ बना कर सीखे l
7.       संभावित कठिनाईयां : इस खंड में गतिविधियों एवं लर्निंग प्रोसेस की संभावित कठिनाईयों का ज़िक्र किया गया है ताकि शिक्षक तैयार रहे कि उन्हें आवश्यकता पड़ने पर ज्ञान सृजन हेतु किन बच्चों की मदद करनी है l
8.       शिक्षक सहयोग : इस भाग में संभावित कठिनाईयों के आलोक में गतिविधियों के दौरान किये जाने वाले मार्गदर्शन / सहयोग का ज़िक्र है l
9.       बच्चे सीख लेंगे : गतिविधियों के करने के पश्चात बच्चों के द्वारा सीखी गयी बातों एवं अर्जित किये गये कौशलों का ज़िक्र इस भाग में है l
10.   विस्तारित अधिगम व्यवस्था संकेत : इस खंड में उन क्रियाओं,गतिविधियों तथा कार्यों का ज़िक्र है जिनका उपयोग अधिगम विस्तार के लिए किया जा सकता है l  




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