Skip to main content

TNA-Teachers' Need Assessment: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में Teachers' Need Assessment को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया के रूप में पहचाना गया है ताकि शिक्षकों की पेशेवर क्षमताओं को बेहतर बनाया जा सके और उन्हें निरंतर व्यावसायिक विकास (Continuous Professional Development - CPD) के लिए उचित अवसर मिलें।

NEP 2020 में Teachers' Need Assessment की मुख्य बातें:

  1. व्यक्तिगत पेशेवर विकास की योजना (Personalized Professional Development):
    शिक्षकों की आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत प्रशिक्षण योजनाएं बनाई जाएंगी। इसके लिए समय-समय पर नीड असेसमेंट किया जाएगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि शिक्षक को किन क्षेत्रों में प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

  2. School Complex/Cluster आधारित मूल्यांकन:
    स्कूल कॉम्प्लेक्स या क्लस्टर स्तर पर नियमित रूप से शिक्षकों की जरूरतों का आकलन किया जाएगा। इससे स्थानीय स्तर पर सुधार की दिशा तय की जा सकेगी।

  3. ICT आधारित प्लेटफॉर्म (DIKSHA आदि):
    डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके शिक्षक स्वयं अपनी आवश्यकताओं का मूल्यांकन कर सकेंगे और अपनी पसंद के अनुसार प्रशिक्षण मॉड्यूल चुन सकेंगे।

  4. 360 डिग्री Holistic Performance Appraisal:
    शिक्षक मूल्यांकन केवल छात्रों के प्रदर्शन पर आधारित नहीं होगा, बल्कि सहकर्मी, प्रधानाध्यापक, माता-पिता, और स्वयं मूल्यांकन के आधार पर समग्र मूल्यांकन किया जाएगा। यह प्रक्रिया भी नीड असेसमेंट का हिस्सा होगी।

  5. NISHTHA और अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों का उपयोग:
    Need Assessment के आधार पर NISHTHA जैसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को डिज़ाइन किया जाएगा ताकि शिक्षक अपनी क्षमताओं को विकसित कर सकें।

उद्देश्य:

  • शिक्षकों के लिए लक्ष्य आधारित, प्रासंगिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना।

  • छात्रों के सीखने के परिणामों को बेहतर बनाना।

  • शिक्षा व्यवस्था में Accountability और Professionalism को बढ़ावा देना।



झारखण्ड सरकार की पहल

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत शिक्षकों की आवश्यकताओं के मूल्यांकन (Teachers' Need Assessment) और उनके व्यावसायिक विकास के लिए झारखंड सरकार ने कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं।​

1. IMPACT NEP परियोजना

झारखंड सरकार ने IMPACT NEP नामक एक पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य राज्य में शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करना है। इस परियोजना के अंतर्गत शिक्षकों, प्रधानाचार्यों, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) के संकायों और अन्य संबंधित पक्षों की नेतृत्व क्षमताओं का विकास किया जा रहा है, ताकि छात्रों के समग्र विकास को समर्थन मिल सके।​

2. शिक्षकों के लिए न्यूनतम 50 घंटे का प्रशिक्षण

NEP 2020 के अनुसार, शिक्षकों के निरंतर व्यावसायिक विकास के लिए प्रति वर्ष कम से कम 50 घंटे के ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रशिक्षण की आवश्यकता है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (JEPC) इस दिशा में कार्य कर रही है, ताकि शिक्षकों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जा सके।​

3. शिक्षकों की आवश्यकता मूल्यांकन (Teachers' Need Assessment - TNA)

राज्य ने सभी शिक्षकों के लिए एक मजबूत आवश्यकता मूल्यांकन (TNA) की योजना बनाई है, ताकि उनकी प्रशिक्षण आवश्यकताओं की पहचान की जा सके और उसी के अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित किए जा सकें।​

इन पहलों के माध्यम से झारखंड सरकार शिक्षकों की क्षमताओं को बढ़ाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने का प्रयास कर रही है।


इस असेसमेंट एवं प्रशिक्षण के बारे में जानने के लिए यह विडियो देखें :









CENTA एप के माध्यम से इस असेसमेंट को संचालित किया जाएगा | इस एप के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें 👉🔄 टीचर नीद असेसमेंट

Comments

Popular posts from this blog

खोरठा हमारी- मातृभाषा

खोरठा लिपि खोरठा के लिए खोरठा लिपि ही क्यों ? किसी भाषा की कतिपय अपनी विशिष्ट ध्वनियाँ होती हैं। उन विशिष्ट ध्वनियों को किसी अन्य भाषा के लिए प्रयुक्त लिपि में अंकित करना कठिन होता है। यानी उधार की लिपि में किसी भाषा के लेखन-पठन में मानकर चलने की विवशता आ जाती है। यदि जो लिखा जाये वही पढ़ा जाये की आदर्श स्थिति की अपेक्षा करना है तो उस भाषा की पृथक व स्वतंत्र लिलि की आवश्यकता पड़ती है। खोरठा सहित झारखंडी भाषाओं में कुछ विशिष्ट ध्वनियाँ विद्यमान हैं जो भारत की अन्य भाषाओं में प्रायः दुर्लभ है। यद्यपि खोरठा भाषा को अंकित करने में नागरी लिपि के व्यवहार को सर्वाधिक मान्यता मिली है किंतु हमारी सभी ध्वनियों को नागरी लिपि उदभाषित करने में सक्षम नहीं है। ऐसी स्थिति में हमें मान कर चलने की विवशता उत्पन्न होती है। इस विवशता में कई समस्याएँ हैं, जहाँ लेखन में वर्त्तनीगत अराजकता वहीं पाठगत अनेकरूपता। एक लेखक अपनी भाषा की विशिष्ट ध्वनियों के लिए नागरी की जिन ध्वनियों का व्यवहार करता है, वहीं दूसरा लेखक कुछ और ध्वनियों का। इससे सामान्य पाठक को पाठ वाचन में कठिनाइयों का सामना करन...

समावेशी शिक्षा

समावेशी शिक्षा से क्या तात्पर्य है ? समावेशी शिक्षा के संप्रत्यय एवम भारतीय शिक्षा प्रणाली में इसकी आवश्यकता की समीक्षा कीजिये। समावेशी शिक्षा  सामान्य एवं विशिष्ट बच...

शिक्षण सामग्री: प्रभावी अधिगम की मजबूत नींव

📘 शिक्षण सामग्री: प्रभावी अधिगम की मजबूत नींव 🔷 प्रस्तावना: शिक्षण केवल पाठ्यपुस्तकों का पाठ कराना नहीं है। प्रभावी शिक्षण वहीं होता है जहाँ बच्चे खुद अनुभव करते हैं, खोजते हैं और अपने परिवेश से जुड़ते हैं। शिक्षण सामग्री (Teaching-Learning Material - TLM) इस प्रक्रिया को सशक्त बनाने का माध्यम है। यह न केवल कक्षा को रोचक बनाती है, बल्कि बच्चों में सक्रियता, सोचने की क्षमता और आत्मनिर्भरता भी बढ़ाती है। 🔶 शिक्षण सामग्री क्या है? शिक्षण सामग्री वे साधन या संसाधन हैं जो शिक्षण प्रक्रिया को सरल, आकर्षक और प्रभावशाली बनाते हैं। इनका उद्देश्य है कि बच्चों को विषय की गहरी समझ हो और वे नई चीज़ें आत्मसात कर सकें। 🔷 शिक्षण सामग्री के प्रमुख प्रकार: 1. प्रिंट आधारित सामग्री: वर्कशीट, चार्ट, शब्द कार्ड, चित्र, पोस्टर, फ्लैशकार्ड आदि। भाषा, गणित, विज्ञान जैसी विषयवस्तु को सुगम बनाते हैं। 2. डिजिटल सामग्री: वीडियो, ऑडियो, प्रजेंटेशन, एनिमेशन, मोबाइल ऐप्स, ई-कंटेंट आदि। blended learning के लिए उपयोगी। 3. स्थानीय और सांस्कृतिक सामग्री: लोकगीत, लोककथाएं, खेल, चित्रकथा...