आँख के आँसू ढ़लकता देखकर जी तड़प कर के हमारा रह गया क्या गया मोती किसी का है बिखर या हुआ पैदा रतन कोई नया || ओस की बूँदें कमल से है कहीं या उगलती बूँद है दो मछलियाँ या अनूठी गोलियाँ चांदी मढ़ी खेलती है खंजनों की लड़कियाँ || या जिगर पर जो फफोला था पड़ा फूट कर के वह अचानक बह गया हाय था अरमान, जो इतना बड़ा आज वह कुछ बूँद बन कर रह गया || पूछते हो तो कहो मैं क्या कहूँ यों किसी का है निरालापन भया दर्द से मेरे कलेजे का लहू देखता हूँ आज पानी बन गया || प्यास थी इस आँख को जिसकी बनी वह नहीं इस को सका कोई पिला प्यास जिससे हो गयी है सौगुनी वाह क्या अच्छा इसे पानी मिला || ठीक कर लो जाँच लो धोखा न हो वह समझते हैं सफर करना इसे आँख के आँसू निकल करके कहो चाहते हो प्यार जतलाना किसे || आँख के आँसू समझ लो बात यह आन पर अपनी रहो तुम मत अड़े क्यों कोई देगा तुम्हें दिल में जगह जब कि दिल में से निकल तुम यों पड़े || हो गया कैसा निराला यह सितम भेद सारा खोल क्यों तुमने दिया यों किसी का है नही खोते भरम आँसुओं तुमने कहो यह क्या किया ||